रांची। राज्य की राजधानी के सदर अस्पताल में डॉक्टर की गैरमौजूदगी में इंजेक्शन लगाए जाने के बाद एक मरीज की मौत ने पूरे स्वास्थ्य तंत्र को कटघरे में खड़ा कर दिया है। घटना के बाद फैले आक्रोश ने सरकारी अस्पतालों की लापरवाही की पोल खोल दी है। इसी बीच, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने इस मामले पर बेहद तीखी प्रतिक्रिया देते हुए स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवालों की झड़ी लगा दी है।
मरांडी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि झारखंड में सरकारी अस्पतालों की लगातार बढ़ती लापरवाही अब जानलेवा साबित हो रही है। उन्होंने कहा कि जब राजधानी के सबसे बड़े अस्पताल में ही डॉक्टर मौजूद नहीं होते, तो फिर दूरदराज के ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों की स्थिति कितनी भयावह होगी, इसका अंदाज़ा लगाया जा सकता है। उन्होंने रांची के सिविल सर्जन से पूछा कि डॉक्टर की अनुपस्थिति में मरीज को इंजेक्शन लगाने का आदेश आखिर किसने दिया? और मरीज की हालत बिगड़ने पर इमरजेंसी में कोई डॉक्टर मौजूद क्यों नहीं था?
स्वास्थ्य विभाग पर सीधा निशाना साधते हुए मरांडी ने आरोप लगाया कि राज्य के “नकारे और निकम्मे स्वास्थ्य मंत्री” के कारण अस्पतालों की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है। उन्होंने डॉक्टरों और कर्मचारियों से अपने कर्तव्यों के प्रति सजग रहने की अपील करते हुए कहा कि उनकी जरा भी लापरवाही कई जिंदगियों पर भारी पड़ सकती है।
मरांडी ने चाईबासा में थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों को एचआईवी संक्रमित रक्त चढ़ाए जाने की घटना का जिक्र करते हुए सरकार को “गूंगी-बहरी, भ्रष्ट और बेशर्म” करार दिया। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री से लेकर मंत्री तक जनता के पैसों को रील और होर्डिंग्स पर उड़ाने में लगे हुए हैं, जबकि अस्पतालों की हालत बदहाल है और यह किसी से छिपी नहीं।
उन्होंने दावा किया कि सरकारी अस्पतालों में न बेड सही हैं, न स्ट्रेचर, न दवाइयां, और कई जगहों पर एंबुलेंस तक उपलब्ध नहीं होती। स्थिति इतनी बदतर है कि मरीजों के परिजन खुद सलाइन पकड़ने को मजबूर हो जाते हैं।
मरांडी ने आरोप लगाया कि “मुख्यमंत्री से लेकर नीचे तक हर स्तर पर केवल कमीशनखोरी चल रही है” और झामुमो–कांग्रेस सरकार ने पूरे राज्य को “खोखला और बदहाल” बना दिया है।
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