नई दिल्ली, 14 सितंबर (हि.स.)। केन्द्रीय मंत्री गजेंद्रसिंह शेखावत की ओर से दर्ज मानहानि मामले में आज राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए दिल्ली के राऊज एवेन्यू कोर्ट में पेश हुए। एडिशनल मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट हरजीत सिंह जसपाल ने अशोक गहलोत की बरी करने की मांग करने वाली याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है। कोर्ट ने इस याचिका पर 19 सितंबर को फैसला सुनाने का आदेश दिया।
अशोक गहलोत की ओर से बरी करने की मांग की गई है। आज सुनवाई के दौरान इस मामले के शिकायतकर्ता गजेंद्र सिंह शेखावत भी वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये पेश हुए। 28 अगस्त को अशोक गहलोत के वकील ने शिकायतकर्ता गजेंद्र सिंह शेखावत कोर्ट में सुनवाई के दौरान पेश नहीं होने पर आपत्ति जताते हुए कहा था कि वह सुनवाई के दौरान पेश नहीं हो रहे हैं जबकि कोर्ट का ऐसा कोई आदेश नहीं है। इस पर कोर्ट ने अगली सुनवाई पर गजेंद्र सिंह शेखावत को कोर्ट में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश होने को कहा था।
19 अगस्त को राऊज एवेन्यू कोर्ट के सेशंस जज ने गहलोत को मिली अंतरिम राहत यानि कोर्ट में वीडियो कांफ्रेंसिंग से पेश होने की छूट 16 सितंबर तक बढ़ा दिया था। दिल्ली पुलिस ने 25 मई को अपनी जांच रिपोर्ट कोर्ट दाखिल किया था। इस मामले में गजेंद्र सिंह शेखावत ने कोर्ट में दिए अपने बयान में कहा था कि संजीवनी घोटाले से मेरा कोई संबंध नहीं है। शेखावत ने कहा था कि जांच एजेंसियों ने मुझे आरोपी नहीं माना, मेरे ऊपर झूठे आरोप लगाए गए हैं। शेखावत ने कहा था कि अशोक गहलोत ने उनकी छवि खराब करने के लिए उनके खिलाफ झूठे आरोप लगाए।
याचिका में कहा गया है कि अशोक गहलोत ने सार्वजनिक बयान दिया कि संजीवनी कोआपरेटिव सोसायटी घोटाले में शेखावत के खिलाफ स्पेशल आपरेशन ग्रुप (एसओजी) की जांच में आरोप साबित हो चुका है। याचिका में कहा गया है कि मुख्यमंत्री गहलोत ने ट्वीट कर कहा कि संजीवनी कोआपरेटिव सोसायटी ने करीब एक लाख लोगों की गाढ़ी कमाई लूट ली। इस घोटाले में करीब नौ सौ करोड़ रुपये की हेराफेरी का आरोप लगाया गया है।
याचिका में कहा गया है कि गहलोत ने अपने ट्वीट में कहा कि ईडी को संपत्ति जब्त करने का अधिकार है न कि एसओजी को। एसओजी ने कई बार ईडी से संजीवनी कोआपरेटिव सोसायटी की संपत्ति जब्त करने का आग्रह किया है लेकिन ईडी ने कोई कार्रवाई नहीं की जबकि ईडी विपक्ष के नेताओं पर लगातार कार्रवाई कर रही है। गहलोत ने अपने ट्वीट में शेखावत से कहा कि अगर आप निर्दोष हैं तो आगे आइए और लोगों के पैसे वापस कीजिए।
याचिका में कहा गया है कि मुख्यमंत्री गहलोत ने शेखावत का नाम एक ऐसी कोऑपरेटिव सोसाइटी के साथ जोड़कर चरित्र हनन करने की कोशिश की जिसका न तो वे और न ही उनके परिवार का कोई सदस्य उस सोसायटी में जमाकर्ता है।
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