पटना। बिहार में जातीय गणना पूरी होगी। बिहार सरकार को पटना हाईकोर्ट से राहत मिली है।हाईकोर्ट ने रोक की मांग से जुड़ी याचिकाएं खारिज कर दी हैं। पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के. विनोद चंद्रन ने यह फैसला सुनाया।
याचिकाकर्ता के वकील दीनू कुमार ने बताया कि एक लाइन में हाईकोर्ट का फैसला आया है। जिसमें कहा गया कि रिट याचिका खारिज की जाती है। यानी जातीय गणना कराई जा सकती है। हाईकोर्ट के जजमेंट के आधार पर गणना होगी। हम लोग फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएंगे।
हाईकोर्ट के फैसले के बाद डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने कहा कि जातीय गणना आर्थिक न्याय की दिशा में क्रांतिकारी कदम होगा। हमारी मांग है कि केंद्र सरकार जातीय गणना करवाए।
बीजेपी ने हाईकोर्ट के फैसले का स्वागत किया है। विजय सिन्हा ने कहा कि हम लोग जातिगत गणना के समर्थक रहे हैं। सरकार गणना के उद्देश्य को बताने में असफल रही। बिहार सरकार की नीयत में खोट है।
बता दें कि 4 मई को पटना हाईकोर्ट ने जातीय गणना पर रोक लगा दी थी और सरकार से अब तक कलेक्ट किए गए डेटा को सुरक्षित रखने का निर्देश दिया था। अगली सुनवाई की तारीख 3 जुलाई तय थी। जहां लगातार 5 दिन बहस चली। पटना हाईकोर्ट ने 7 जुलाई को इस मामले में सुनवाई पूरी की।
चीफ जस्टिस के. विनोद चंद्रन और जस्टिस पी सार्थी की बेंच के सामने पहले तीन दिन याचिकाकर्ता की ओर से दलील रखी गई। फिर दो दिन बिहार सरकार के एडवोकेट जनरल पी के शाही ने दलील पेश की। सुनवाई पूरी होने के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था।
सरकार का कहना है कि 80 फीसदी काम हो चुका है। इसके लिए 500 करोड़ का बजट था।
दो फेज में हो रही थी गणना
पहला फेज: 7 जनवरी से शुरू हुआ बिहार सरकार दो चरणों में जातिगत गणना करवाना चाह रही थी। जिसके तहत जातिगत गणना का पहला चरण 7 जनवरी 2023 को शुरू हुआ था। पहले चरण में मकानों की सूचीकरण,मकानों को गिना गया। यह चरण 21 जनवरी 2023 को पूरा कर लिया गया था।
दूसरा फेज: 15 अप्रैल से शुरू हुआ जातीय गणना का दूसरा चरण 15 अप्रैल से शुरू हुआ था। जिसे 15 मई को पूरा हो जाना था। लोगों से डेटा जुटाए गए। दूसरे चरण में परिवारों की संख्या, उनके रहन-सहन, आय आदि के आंकड़े जुटाए गए।
इसी बीच मामला कोर्ट चला गया: कोर्ट का फैसला आने तक जातिगत गणना का दूसरा का काम तकरीबन 80 फीसदी पूरा हो चुका था। तभी पटना हाई कोर्ट के दखल के बाद 4 मई को जातिगत गणना पर रोक दी गई।
इसी बीच मामला कोर्ट चला गया: कोर्ट का फैसला आने तक जातिगत गणना का दूसरा का काम तकरीबन 80 फीसदी पूरा हो चुका था। तभी पटना हाई कोर्ट के दखल के बाद 4 मई को जातिगत गणना पर रोक दी गई।
लालू यादव ने कहा था गणना होकर रहेगी: जातीय गणना बहुसंख्यक जनता की मांग है और यह हो कर रहेगी। BJP बहुसंख्यक पिछड़ों की गणना से डरती क्यों है? जो जातीय गणना का विरोधी है वह समता, मानवता, समानता का विरोधी और ऊंच-नीच, गरीबी, बेरोजगारी, पिछड़ेपन, सामाजिक और आर्थिक भेदभाव का समर्थक है। देश की जनता जातिगत गणना पर BJP की कुटिल चाल और चालाकी को समझ चुकी है।
दूसरी बार लगी याचिका
अखिलेश सिंह समेत 10 से 12 लोग याचिकाकर्ता हैं। जातीय गणना रोकने के लिए पहले भी याचिका लगाई थी, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इनकार करते हुए हाई कोर्ट जाने के लिए कह दिया था। इसके बाद फिर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई गई। दलील दी गई कि अगर इस पर तुरंत रोक नहीं लगाई गई तो जातिगत जनगणना पूरी हो जाएगी। फिर इसका कोई मतलब नहीं रह जाएगा।
याचिकाकर्ता की दलील
याचिकाकर्ता की ओर से कोर्ट को बताया गया कि बिहार सरकार का काम कास्ट सेंसस करना नहीं है। यह केंद्र का काम है। संविधान के आर्टिकल का उदाहरण देते हुए याचिकाकर्ता की ओर से बताया गया था कि राज्य सरकार अपने क्षेत्राधिकार से आगे काम कर रही है। बिहार सरकार ने 500 करोड़ इस पर बर्बाद की है।