रामानुजगंज, अनिल गुप्ता: भारतीय जनता पार्टी मण्डल रामानुजगंज किसान मोर्चा के बैनर तले शाहकारी समिति त्रिकुंडा में किसान चौपाल का आयोजन किया गया. जिसमें बतौर मुख्यातिथि छत्तीसगढ़ शासन के पूर्व गृहमंत्री रामविचार नेताम उपस्थित हुए. वहीं बारिश में भींगते हुए हजारो किसान इस कार्यक्रम में शामिल हुए. गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ में 2018 से कांग्रेस सरकार बनने के बाद धान खरीदी के पूर्व टोकन काटने से लेकर धान बेचने तक घर-घर पुआल की जांच करने तथा घर में घुसकर धान का भौतिक सत्यापन करने एवं किसानों को विभिन्न प्रकार से प्रताड़ित किए जाने एवं खरीदी से पूर्व गिरदवाली के नाम पर प्रत्येक वर्ष मेढ़ एवं घर के नाम से पंजीकृत किसानों के रकबे में लगातार कटौती करके किसानों को तहसील के चक्कर काटने पर मजबूर किया गया.
किसानों को होने वाले दर्जनों परेशानियों के विरुद्ध, छत्तीसगढ़ भाजपा के आह्वान पर किसान मोर्चा के बैनर तले प्रदेश के प्रत्येक मण्डल में किसान चौपाल का आयोजन किया जा रहा है. इसी कड़ी में बीते बुधवार को भाजपा मंडल रामानुजगंज के किसान मोर्चा के मण्डल अध्यक्ष श्रवण यादव के नेतृत्व एवं छत्तीसगढ़ शासन के पूर्व गृहमंत्री एवं पूर्व राज्यसभा सांसद रामविचार नेताम के मुख्यातिथि में आदिम जाति सेवा शाहकारी समिति त्रिकुंडा में स्थानीय किसानों के मध्य किसान चौपाल का आयोजन किया गया. जिसमें समिति त्रिकुंडा के हजारों किसान बारिश में भीगते हुए सम्मिलित हुए. हालांकि कार्यक्रम के पूर्व ही तेज गर्जन के साथ मुसलाधार बारिश प्रारम्भ हो गई थी, परंतु स्थानीय किसान के जज्बे में यह बारिश बाधा नहीं बन पाई. बारिश में भीगते हुए किसानों ने 100 ट्रेक्टर में हल लगाकर मुख्यातिथि रामविचार नेताम को बैलगाड़ी में बैठकर मरमा मोड़ से त्रिकुंडा कार्यक्रम स्थल तक रैली भी निकाली जो इस क्षेत्र में एक ऐतिहासिक रैली मानी जा रही है.
किसानों पर हो रहा अत्याचार: रामविचार नेताम
हजारों किसानों को संबोधित करते हुए छत्तीसगढ़ शासन के पूर्व गृहमंत्री रामविचार नेताम ने कांग्रेस सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि धान का कटोरा कहे जाने वाले छत्तीसगढ़ प्रदेश के इतिहास में दो बार ऐसा हुआ जब किसानों को प्रताड़ित होना पड़ा है. एक जब प्रदेश में सन 2000 से 2003 में कांग्रेस की सरकार थी तब किसान अपने मेहनत से उगाए धान को लेकर मंडी पहुंचते थे तब किसानों के धान को नाद में डुबोकर देखा जाता था कि इसमें कितना प्रतिशत खांकर है और किसानों से अवैध वसूली किया जाता था, जो किसान अपनी धान को बेचने के लिए रिश्वत देने में आनाकानी करता था उसका धान वापस कर दिया जाता था. 2003 में जब प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी तो प्रताड़ना के इस प्रथा को पूर्णतः समाप्त करते हुए बिना किसी भेदभाव के धान की खरीदी शुरू कर दी गई. भाजपा की सरकार में न तो धान को नाद में डुबोया जाता था और न ही प्रत्येक वर्ष गिरदवाली के नाम से रकबा में कटौती किया जाता था. भाजपा सरकार में कभी ऐसा नहीं हुआ कि खरीदी प्रारम्भ होने से पूर्व राजस्व अमला की पूरी टीम किसानों के खेत मे उतरी हो और मेढ़ के नाम से, कुंआ के नाम से, घर के नाम से, पेंड के नाम से किसानों के रकबे में कटौती किया गया हो और न ही खरीदी के पूर्व किसानों के घर छापा पड़ा हो, लेकिन 2018 में जब से प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी है खून पसीने से मेहनत करके उपजाए हुए धान को बेचने से पूर्व सीधे-साधे किसानों को विभिन्न प्रकार से प्रताड़ित किया जा रहा है.
आगे उन्होंने कहा कि किसानों को चोर समझा जा रहा है, खरीदी के पूर्व राजस्व के और अन्य विभाग के कर्मचारियों को गिरदवाली के नाम पर किसानों के खेत में भेजकर मेढ़ कितना है, कुंआ कितना है, पेंड कितना है, इन सभी का रकबा काटा जा रहा है और फिर रकबे में सुधार करने के लिए जब किसान तहसील का चक्कर काटने पर मजबूर हो रहे हैं तब अधिकारियों द्वारा मुंह मांगा रिश्वत मांगा जाता है. इन सभी बिडंबना से गुजरने के बाद यदि पंजीयन हो भी जाता है तो धान बेचने के पूर्व घर मे छापा मारा जा रहा है. कुल मिलाकर प्रदेश के सीधे साधे-गरीब आदिवासियों को चोर के श्रेणी में लाकर खड़ा कर दिया है. सरकार के एजेंट करोड़ो रूपए के घोटाले के आरोप में जेल जा रहे हैं. यहां के स्थानीय विधायक छत्तीसगढ़ का बालू पड़ोसी राज्यों के बेचने में व्यस्त है. लोगों की जमीन हड़पने में व्यस्त है, गरीब किसान मजदूर आदिवासियों पर पहरा है और सरकार में बैठे लोगों को हर तरह के लूट खसोट करने की खुला छूट है, रामविचार ने अपने उद्बोधन में ऐसे भ्रष्ट और निकम्मी सरकार को उखाड़ फेंकने की अपील की है.
इस दौरान मण्डल अध्यक्ष शर्मिला गुप्ता, विनोद गुप्ता, उपेंद्र यादव, इरफान अंसारी, ललन पाल, संतोष यादव, श्रवण यादव, आनंद देव् सिंह, सीताराम यादव, वीरेंद्र मरकाम, जोगेंद्र यादव, नवीन गुप्ता, अशर्फी यादव, कृपाशंकर गुप्ता, उदयशंकर जायसवाल, सतीश जायसवाल, विक्रम गुप्ता, नंदकिशोर गुप्ता, हरिशंकर यादव, रामजीत सिंह ध्रुव, सहदेव सिंह, भगत राम, देवसाय सिंह, सहित हजारो की संख्या में किसान सम्मिलित हुए.