गाजियाबाद। चिकनपॉक्स होने पर स्वजन बच्चे का घर पर ही इलाज करते रहे। इससे हालत बिगड़ने पर 11 साल के बच्चे की मौत हो गई है। चिकित्सकों का कहना है कि समय पर इलाज न मिलने से बच्चे को निमोनिया भी हो गया।
10 दिन से पीड़ित था बच्चा
जिला एमएमजी अस्पताल की इमरजेंसी में शनिवार सुबह 7:25 बजे भर्ती कराए गए रूदन केवट के 11 वर्षीय पुत्र राहुल को 10 दिन से तेज बुखार था। बच्चे के जीजा लोकेश ने बताया कि चिकनपॉक्स होने के चलते किसी चिकित्सक से दवाई नहीं ली गई।
घरेलू इलाज करके ठीक होने का इंतजार किया जा रहा था, लेकिन सुबह उसकी हालत बिगड़ गई। अकबरपुर बहरामपुर में रहने वाले बच्चे को चिकित्सकों ने इमरजेंसी में पहुंचते ही मृत घोषित कर दिया है।
सीएमएस डॉ. मनोज कुमार चतुर्वेदी का दावा है कि इमरजेंसी में मृत अवस्था में बच्चे को लाया गया था। रिपोर्ट में चिकित्सकों ने मौत का कारण चिकनपॉक्स दर्ज किया है, लेकिन सीएमएस का दावा है कि चिकनपॉक्स से मौत नहीं होती है। बीमार होने के बाद बच्चे को समय पर चिकित्सक को न दिखाने पर बच्चे की हालत खराब हुई है।
अंधविश्वास के चलते नहीं कराया मासूम का इलाज
स्वजन ने अंधविश्वास के चलते बच्चे का इलाज नहीं कराया। बच्चे को बुखार व निमोनिया भी बताया गया है। उधर जिला सर्विलांस अधिकारी डॉ. आरके गुप्ता का कहना है कि चिकनपॉक्स का संक्रमण जिले में फिलहाल कहीं नहीं है। इस प्रकरण में बच्चे के घर व आसपास सर्वे कराया जा रहा। प्रकरण की जांच कराई जाएगी।
सरकारी और निजी अस्पतालों को सख्त निर्देश दे रखे हैं कि चिकनपॉक्स का केस संज्ञान में आते ही रिपोर्ट जरूर भेजें लेकिन अस्पताल इन निर्देशों का अनुपालन नहीं कर रहे हैं।
उनका कहना है कि जिले में कई साल बाद चिकनपॉक्स से बच्चे की मौत का मामला संज्ञान में आया है। इसके अलावा डायरिया के 12 मरीजों की हालत गंभीर है। इनमें से छह को दिल्ली रेफर कर दिया गया है। दिमागी बुखार पीड़ित एक किशोरी को दिल्ली रेफर किया गया है।
चिकनपॉक्स होने पर चिकित्सक को जरूर दिखाएं
वरिष्ठ फिजिशियन डॉ. आलोक रंजन का कहना है कि चिकनपॉक्स वायरल इंफेक्शन से फैलता है। इस बीमारी का इलाज है। एंटी वायरल दवाएं देकर मरीज को ठीक किया जा सकता है। शुरू होने के तीन दिन पहले और शुरू होने के पांच दिन बाद तक अन्य को संक्रमण होने का खतरा रहता है। वायरलथेरेपी से इलाज संभव है।