खूंटी। वैसे तो प्रकृति प्रेमियों और पिकनिक मनाने के शौकीन लोगों के लिए खूंटी जिले में दर्जनों पर्यटन स्थल हैं, पर आये दिन इन सैलानियों के कुछ न कुछ घटनाएं होती रहती हैं।
पेरवांघाघ, पांडूपुड़िंग, रिमिक्स जल प्रपात जैसे पर्यटन स्थलों पर तो कई सैलानियों की जान तक जा चुकी है, पर तोरपा प्रखंड मुख्यालय से महज छह किलोमीटर की दूरी पर निचितपुर गांव के नजदीक स्थित सातधारा पर्यटन स्थल जिले का सबसे सुरक्षित माना जाता है। यहां न गहरे पानी में डूबने का खतरा है और न ही थका देनेवाली चढ़ाइयां और न ही खतरनाक चट्टान।
यही कारण है कि छोटे-छोटे बच्चों और परिवार के साथ पिकनिक मनाने वालों के लिए यह पसंदीदा है। नवबर-दिसंबर से ही यहां सैलानियों का आना शुरू हो जाता है जो मार्च तक चलता रहता है। नववर्ष पर तो यहां पिकनिक मनाने वालों की भारी भीड उमड पडती है। जिला मुख्यालय खूंटी से लगभग 35 किलोमीटर और तोरपा प्रखंड मुख्यालय से सप्तधारा की दूरी महज सात-आठ किमी है। शहर के नजदीक होने के कारण परिवार के साथ पिकनिक मनाने के लिए यह जगह सुरक्षित माना जाता है।
यहां नदी के बीच छोटी-छोटी चट्टान होने के कारण जोखिम भी कम है। दूर-दूर तक नदी किनारे फैली रेत की ढेर में बच्चे बिना डर-भय के खूब धमाचौकडी मचाते हैं। स्थानीय लोगों के अलावा रांची, खूंटी, गुमला, सिमडेगा और अन्य जिलों से भी बडी संख्या में सैलानी यहां पिकनिक मनाने आते हैं। छाता और कारो नदी के मिलन के बाद यह नदी सात धाराओं में विभक्त होकर बहती है, जो देखने में काफी सुखद अनुभूति देती है। चटानों के बीच बहता पानी लोगों को लुभाता है। कारो नदी पर स्थित यह स्थान प्राकृतिक सुंदरता से परिपूर्ण है। नदी के बीच दूर-दूर तक फैले चट्टानों से होकर बहता पानी इसकी सुंदरता को बढाता है।
निजी वाहन से ही पहुंचा जा सकता है सप्तधारा
सप्तधारा पर्यटन स्थल तक सिर्फ निजी वाहनों से ही पहुंचा जा सकता है। वैसे सप्तधारा तक सड़क काफी अच्छी है। इसलिए बस, कार, स्कूटी और बाइक से आसानी से सप्तधारा पहुंचा जा सकता है। तोरपा चर्च रोड से डिगरी और जरकाटोली, निचितपुर गांव होते हुए नदी तक पहुंचा जा सकता है। वहां जाने वाले सैलानियों को खाने-पीने के सामान लेकर जाना पड़ता है, क्योंकि निकट में न कोई दुकान है और न ही होटल। अधिकतर लोग स्वयं ही भेजन बनाते हैं। वैसे सप्तधारा से आठ किलोमीटर दूर तोरपा में जरूरत के सभी सामान मिल जाते हैं।
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