रांची, बिजय जैन: गणिनी आर्यिका विभाश्री माताजी ने वासुपूज्य जिनालय के प्रांगण में प्रातः कालीन प्रवचन के दौरान दिनांक 09 जुलाई को कहा- भावों की यह पगडंडी पर सरपट दौड़ा करता मन, भावो ही भावो मे बो के तपन संजोया करता मन. भावो ही भावो में भव के बंध बांधता रहता मन, भावों ही भावो के भव के बंध काटता रहता मन. जैन आगम, जैन दर्शन जिनशासन भावो से ही उत्थान और भावों से ही पतन की गाथा कहा करता है, परंतु हमारा यह मन निरंतर भाव की पगडंडी के ऊपर सरपट दौड़ा करता है, वायु की गति से भी तेज दुनिया में जितने भी चलायमान वस्तु हैं, वाण है या विमान है उन सब की गतियों से भी बहुत तेज हमारे मन की गति है. एक क्षण में हमारी आत्मा को सिद्धालय पहुंचा देती है तो क्षण मात्र में ही सप्तम नरक.
बाहर जो दिखाई दे रहा है यह भावो को संवारने के लिए है, आप सभी पूजा में सपरिवार आए मुझे देखकर काफी खुशी हो रही है. छोटे बच्चों को भी लेकर आए हैं बड़े बुजुर्ग भी आए हैं लेकिन सारे लोग पूरे परिवार को नहीं ला पाए हैं. भले एक दो लोग आए हैं. एक साथ जब आते हैं, एक साथ जब बैठते हैं, एक भगवान की आराधना करते हैं तो परिणामो में भी निर्मलता आती है और सबसे बड़ी बात है परिवार में भी प्रेम बढ़ता है. रावण, राजा श्रेणिक- महारानी चेलना की कथा, मुनि यशोधर के उपसर्गो की कथा का उदाहरण देते हुए अपने परिणामों की विशुद्घि के प्रभाव और धर्म के प्रति आस्थावान कैसे हो इसकी विस्तृत वृतांत बताई.
उन्होंने आगे कहा, वैज्ञानिकों ने रिसर्च किया की तपस्वियों में सामान्य लोग ही होते हैं जो अपनी तप साधना से अपनें अन्तर्मन के तेज को कौशल बना लेते हैं. तीर्थंकर भगवान की धर्म सभा का जब समोशरण लगता है उसमें सर्प और नेवला एक साथ खेलते है, सिंह और गाय एक ही घाट पर पानी पीते है. गाय अपना दूध बाघ को और सिंहनी गाय के बछड़े को अपना दूध पिलाते हुए दिखती है. भगवान के आभामंडल में आकर सभी अपने बैर भूल जाते है. वितरागी मुद्रा को बड़े ध्यान से देखना मन को शांति और शीतलता की अनुभूति हो जाएगी. वितरागी मुद्रा के प्रभाव से हमारे जितने भी राग – द्वेष, संक्लेश मिट जाया करते है. प्रेम के साथ सास बहू एक साथ आनन्द से पूजा आराधना करेगी तो बहु अपनी सास के लिए दीर्घायु और सास बहू के लिए हमेशा कहेगी की स्वर्ग से लक्ष्मी उतरकर आई है और ऐसी भावना से निश्चित रूप से मंगल ही मंगल होगा क्योंकि जहां भावो का मंगल होता है वहां सबकुछ मंगल ही होता है.
भावनाओं के प्रभाव से इलेक्ट्रो डायनेमिक फील्ड बनता है: आर्यिका विभाश्री
उन्होंने आगे कहा भावनाओं के प्रभाव से हमारे आस पास एक औरा बनता है जिसे विज्ञान की भाषा में इलेक्ट्रो डायनेमिक फिल्ड कहते है हम जैसे भाव रखते है वैसे ही विशुद्ध लोगों के करीब लोग आते है, उनसे लोग प्रभावित होते है और यश कीर्ति बढ़ती है. तनावग्रस्त और नकारात्मक सोच रखने वाला इंसान हमेशा धर्म की राह से दूर रहते है. उसे हमेशा दो रातों के बीच एक दिन ही नजर आएगा जबकि सकारात्मक सोच रखने वाले को दो दिन के बीच एक रात नजऱ आएगी. यदि हमें अपने जीवन में अनुकूलता मिले तो हमारे पुण्य कर्म का उदय है और यदि हमें अपने जीवन में प्रतिकूलता मिले तो भी हमें हमेशा प्रसन्न रहने की कोशिश करनी चाहिए.
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