अमरनाथ पाठक, सीनियर एडिटर, हजारीबाग। आदित्य एल-1 को कक्षा में स्थापित करने में अहम भूमिका निभाने वाले पीयूष कुमार गौरव का हजारीबाग से गहरा संबंध रहा है। उन्होंने चंद्रयान-3 में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया था। पीयूष के काफी कम उम्र में ऐसी अभूतपूर्व कामयाबी पर आज पूरा बिहार -झारखंड गौरवान्वित है। पीयूष का कहना है कि फ्लाइट में एक एटीट्यूड इंजीनियर के रूप में वर्ष की शुरुआत करने के लिए वह उत्साहित हैं। भारतीय विज्ञान की डायनामिक्स टीम के साथ आदित्य एल-1 के सटीक हेलो कक्षा सम्मिलन में योगदान दे भारत यह उपलब्धि हासिल करने वाला अग्रणी अंतरिक्ष यान और विश्व स्तर पर चौथा देश है। पीयूष कहते हैं कि इस महत्वपूर्ण मिशन पर बिताए गए वर्षों के लिए आभारी हैं, इस ऐतिहासिक अवसर का हिस्सा बनने पर गर्व है।
हजारीबाग स्थित रेवाली निवासी इंफोसिस में इंजीनियर अभिनीत सौरभ ने बताया कि उनके फुफेरे भैया पीयूष कुमार गौरव इसरो के चंद्रयान-3 मिशन में शामिल थे. इस टीम का हिस्सा बन उन्होंने न सिर्फ हजारीबाग, बल्कि पूरे झारखंड को गौरवान्वित किया है। पिछले 12 वीं से वह इसरो में बतौर वैज्ञानिक काम कर रहे है। उनकी स्कूली शिक्षा पटना के संत किरण स्कूल से हुई है, प्लस टू की पढ़ाई कोटा से की। पीयूष कुमार गौरव के पिता प्रेमनाथ शर्मा, माता संगीता शर्मा, पत्नी अंकिता कुमारी और बेटा इवान अगस्त्य सभी बेंगलुरु में रहते हैं।
बचपन में ही अंतरिक्ष विज्ञान में थी अभिरूचि
पीयूष कुमार गौरव ने वर्ष 2007 आईआईएसटी तिरुवंतपुरम से बीटेक किया, इसके बाद आईआईटी कानपुर से मास्टर्स और पीएचडी की उपाधि ली, अगस्त 2011 को इसरी ज्याइन किया, बचपन में ही उन्हें अंतरिक्ष विज्ञान से लगाव थर करियर के शुरुआती दिनों में इलेक्ट्रिक रिस्टम इंजीनियर बन डिजाइन करते थे। बाद में फ्लाइट डायनामिक्स ज्वाइन कर लिया। उदयान-3 की लैंडिंग के बाद पीयूष ने संदेश दिया कि दुनिया ने अब जल्द ही हिन्दुस्तान सूर्य पर भी होगा। अब इस संदेश को सार्थक करने में जुटे हैं।
..तो थम गई थीं धड़कनें
आदित्य एल-1 के वैज्ञानिकों की टीम में अहम भूमिका निभानेवाले पीयूष कुमार गौरव का हजारोचाग से गहरा रिश्ता रहा है। यहां उनका ननिहाल है और जब आदित्य एल-1 जब कक्षा में स्थापित कर रहा था, तो हजारीबाग रेवाली के राय परिवार की धड़कने भी बढ़ रही थीं। दिवंगत समाजसेवी दुर्गेश्वर प्रसाद राय के परिवार की नजरें आदित्य एल-1की लैंडिग की पल-पल की खबरों पर टिकी हुई थीं। यान के लैंड होते ही पूरे परिवार की खुशियों का ठिकाना नाहीं रहा। सभी मोबाइल और एसएमएस के जरिए पीयूष को बधाई व शुभकामनाएं देने लगे।
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