हजारीबाग, डा. अमरनाथ पाठक (सीनियर एडिटर)। गढ़वा से आए पलामू निवासी नए डीएसई आकाश कुमार के समक्ष हजारीबाग शिक्षा विभाग बड़ी चुनौतियां हैं। सबसे पहले तो उन्हें निवर्तमान डीएसई संतोष गुप्ता की ओर से दागदार की गई कार्यालय की संस्कृति को बदलना और उस छवि को लोगों की मानसिकता से निकालना होगा। वहीं टीचर-वर्कर फ्रेंडली बनना होगा। तभी एक मंच पर समन्वय स्थापित कर शैक्षणिक सुधार की ओर बढ़ पाएंगे। उन्हें समझना होगा कि कौन शिक्षा हितैषी हैं और कौन भ्रष्टाचार के वाहक।
कार्यालय में अमूमन हावी होनेवाली बिचौलियागिरी की पनपी हुई संस्कृति को खत्म कर स्वच्छ, पारदर्शी और सहजता की संस्कृति बहाल करनी होगी। कार्यालय कर्मियों और खासकर बीइइओ की वसूली व शिक्षकों को मानसिक, आर्थिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित करने वाली कायम दलाली परंपरा को बदलनी होगी। वहीं स्कूलों में बुनियादी शिक्षा की नींव मजबूत करने की पहल पर समर्पण और निष्ठा से काम करना होगा। मीडिया के माध्यम से हर छोटी-बड़ी गतिविधियों को अध्ययन-अध्यापन से जुड़े शिक्षा प्रेमियों तक संदेश देना होगा।
भ्रष्टाचारमुक्त वातावरण तैयार कर बड़ी लकीर खींचनी होगी। पक्षपातपूर्ण मानसिकता से परे होकर काम करना होगा, तभी वर्षों से दागदार डीएसई आफिस का दामन चमक पाएगा। हालांकि कामयाबी के पहले पायदान को तो उन्होंने अपने मनोबल से पार कर कार्यालय का कार्यभार संभाल लिया। पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने शैक्षणिक वातावरण तैयार करने की बात कही है। वहीं अपने कार्यालय समेत झारखंड शिक्षा परियोजना कार्यालय के कर्मियों से मुलाकात कर उनकी कार्यशैली का अवलोकन भी किया। अगर वह बेहतर कार्यशैली को अंजाम देने की पहल करते हैं, तो निश्चित रूप से ऐसे तेजतर्रार और युवा डीएसई को प्रोत्साहित और सहयोग करने की समाज को भी जरूरत है। उनसे यह अपेक्षा है कि शिक्षा विभाग में फैलाई गई गंदगी को पूरी तरह साफ करें और एक स्वच्छ और सुंदर वातावरण बहाल करें। वैसे उन्होंने कुर्सी संभालते ही कार्यालय के कचरे को साफ भी कराया और अब मानसिक कचरे की सफाई की बारी है। बहरहाल बदलाव की बयार के लिए लोग प्रतीक्षारत भी हैं।
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