हजारीबाग। विनोबा भावे विश्वविद्यालय हजारीबाग परिसर में स्थित जनजातीय अध्ययन केंद्र के नवनिर्मित भवन का उद्घाटन 19 जनवरी को राज्यपाल -सह-कुलाधिपति, झारखंड के विश्वविद्यालय, सी पी राधाकृष्णन के कर कमल से होना है। उद्घाटन समारोह का आयोजन अपराहन 3:00 बजे से किया गया है।
उपलब्ध कराई गई जानकारी के अनुसार कुलाधिपति हजारीबाग सर्किट हाउस से विश्वविद्यालय के लिए अपराह्न 2:50 में प्रस्थान करेंगे। 3:00 बजे विश्वविद्यालय परिसर में उनका आगमन होगा। सर्वप्रथम विश्वविद्यालय परिसर में अवस्थित आचार्य विनोबा भावे की प्रतिमा पर पुष्प अर्पण किया जाएगा। इसके बाद नवनिर्मित भवन का उद्घाटन किया जाएगा। तत्पश्चात कुलाधिपति एवं अन्य सभी विशिष्ट जनों का आगमन स्वामी विवेकानंद सभागार में होगा। सभागार में विशिष्ट जनों के स्वागत के बाद राष्ट्रगान, दीप प्रज्वलन एवं कुलगीत की प्रस्तुति की जाएगी।
इसके बाद विश्वविद्यालय के आयुक्त कुलपति, सुमन कैथरीन किसपोट्टा के द्वारा स्वागत संबोधन किया जाएगा। विशिष्ट जनों को स्मृति चिह्न भेंट कर पूरे विश्वविद्यालय परिवार की ओर से उनका सम्मान किया जाएगा।
इसके बाद कुछ अन्य संबोधन के उपरांत हजारीबाग के सांसद जयंत सिन्हा जी सभा को संबोधित करेंगे। ज्ञात हो कि जयंत सिन्हा द्वारा उपलब्ध कराई गई राशि से ही जनजाति अध्ययन केंद्र के भवन का निर्माण किया गया है। ज्ञात हो कि जयंत सिन्हा के पिछले 5 वर्षों के ऐसे ही अच्छे कार्यों के लिए उनको अभी-अभी सांसद महारत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।
इसके बाद झारखंड के शिक्षा मंत्री का संबोधन होना है। उनके बाद राज्यपाल सह कुलाधिपति का अभिभाषण होगा। छात्र कल्याण संकायअध्यक्ष धन्यवाद ज्ञापित करेंगे। राष्ट्रगान से कार्यक्रम को समाप्त किया जाएगा।
कुलाधिपति के कार्यक्रम को लेकर विश्वविद्यालय के कुलपति ने सभी बिंदुओं की समीक्षा की। विश्वविद्यालय के सभी संकायअध्यक्ष विभागाअध्यक्ष, पदाधिकारी, निर्देशक, शिक्षक एवं शिक्षकेत्तर साथी को इस अवसर पर आमंत्रित करते हुए आग्रह किया गया है की अपराह्न 2:30 तक स्वामी विवेकानंद सभागार में अपना स्थान ग्रहण कर लेंगे।
विभागाध्यक्षों एवं निर्देशकों से आग्रह किया गया है कि अपने विभाग से 20-25 विद्यार्थी को इस अवसर पर विवेकानंद सभागार में लेकर आएंगे। ऐसे सभी विद्यार्थी अनिवार्य रूप से विभागीय पोशाक में होंगे एवं कार्यक्रम की समाप्ति तक सभागार से बाहर नहीं जाएंगे।
जनजातीय अध्ययन केंद्र की स्थापना के साथ ही झारखंड के जनजाति एवं क्षेत्रीय संस्कृति व भाषा के अध्ययन का एक स्वर्णिम दौर का शुभारंभ किया जाएगा। इसको लेकर पूरे विश्वविद्यालय में उत्साह का माहौल है।
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