बलरामपुर, अनिल गुप्ता। जिले के जनपद पंचायत कुसमी के राजेंद्रपुर में आदिवासियों के जमीन का एक बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है जहां पर गांव के ही 2 लोगों ने आदिवासियों की 52 एकड़ जमीन का रजिस्ट्री करा लिया है, जिसके एवज में ग्रामीणों को ना कोई पैसा दिया गया है और दलालों ने नौकरी देने का लालच देकर यह बड़ा घोटाला किया है।
गांव के ही 2 दलालों ने लगभग आधा दर्जन ग्रामीणों की 52 एकड़ जमीन साल 2014-15 में यह कहकर रजिस्ट्री करा लिया था कि जिंदल नाम की कंपनी 10 साल के लिए यह जमीन अनुबंध कर रही है इसके बदले ना सिर्फ ग्रामीणों को ढेर सारा पैसा मिलेगा बल्कि उन्हें नौकरी भी मिलेगी और 10 साल बाद उन्हें यह जमीन वापस मिल जाएगी। भोले-भाले ग्रामीण दलालों के चक्कर में फंस गए और उन्होंने अपनी जमीन को 2 लोगों के नाम पर रजिस्ट्री कर दी। इसके एवज में ग्रामीणों को लाखों रुपए का फर्जी चेक भी दिया गया था। ग्रामीण जब उस चेक को लेकर बैंक पहुंचे तो खाते में पैसा ही नहीं था बाद में दलालों ने ग्रामीणों को 5 हजार रुपए नगद देकर वह चेक भी वापस ले लिया।
मामला सामने आने के बाद अब अधिकारी जांच की बात कह रहे हैं
ग्रामीणों को जब पता चला कि उनके साथ एक बड़ा धोखा हुआ है उन्हें न तो नौकरी मिल रही है ना ही जमीन का पैसा और ना ही कोई कंपनी यहां आई है इसके बाद ग्रामीणों ने जमीन के सारे दस्तावेज निकालकर मामले की शिकायत कलेक्टर से भी की लेकिन आज तक इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है। दलालों द्वारा जमीन रजिस्ट्री कराने के बाद ग्रामीणों को धमकाया भी जा रहा है और उन्हें मारने की धमकी भी दी जा रही है जब इस पूरे मामले में अनुविभागीय अधिकारी से बात की तो उनका कहना है कि मीडिया के माध्यम से उन्हें इस बात की जानकारी मिली है अब वह जांच की बात कह रहे हैं।
अधिकारियों पर उठ रहे है सवाल
इस पूरे मामले में सबसे बड़ा सवाल यही उठता है कि आखिर आदिवासियों की जमीन गैर आदिवासियों के नाम पर रजिस्ट्री कैसे हो गई इसमें न सिर्फ पटवारी बल्कि अन्य अधिकारियों ने ऐसे कौन से कागजात बनाए जिससे यह रजिस्ट्री संभव हो पाया। इस पूरे मामले में जांच के बाद एक बड़ा खुलासा होने की उम्मीद है साथ ही अगर बेहतर तरीके से जांच होती है तो एक बड़े जमीन दलाल गिरोह का भी पर्दाफाश होगा।