रायपुर (Arun Kumar Sharma Passes Away)। छत्तीसगढ़ के प्रख्यात पुरातत्ववेत्ता पद्मश्री अरुण कुमार शर्मा का 92 वर्ष की आयु में बुधवार देररात निधन हो गया। अरुण शर्मा की मांग पर अयोध्या में राम जन्मभूमि पर खुदाई कराई गई थी। उन्होंने खुदाई में मिले अवशेषों की शोध के आधार पर कोर्ट में मंदिर होने के सबूत पेश किए थे। पद्मश्री शर्मा के मार्गदर्शन में ही छत्तीसगढ़ में सफल उत्खनन का कार्य किया गया। इसकी वजह से छत्तीसगढ़ की समृद्धि विरासत दुनिया के सामने आई। आज रायपुर के महादेव घाट में उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।
Arun Kumar Sharma Passes Away: भारत के पुरातत्त्वविद् रह चुके शर्मा को जनवरी 2017 में सरकार ने पद्मश्री से अलंकृति किया था
पुरातत्ववेत्ता पद्मश्री अरुण कुमार शर्मा राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा से बहुत खुश थे। स्वास्थ्यगत कारणों से वह प्राण प्रतिष्ठा समारोह में अयोध्याधाम नहीं पहुंच सके थे। भारत के पुरातत्त्वविद् रह चुके शर्मा को जनवरी 2017 में सरकार ने पद्मश्री से अलंकृति किया था। वे छत्तीसगढ़ शासन के पुरातात्विक सलाहकार रह चुके हैं । उन्होंने छत्तीसगढ़ के अलावा देश के अन्य स्थानों पर भी खुदाई कराई। (Arun Kumar Sharma Passes Away)
शर्मा ने सिरपुर और राजिम में काफी काम किया। उन्होंने सिरपुर में मिली प्राचीन मूर्तियों तथा मुखौटों के आधार पर कहा था कि हजारों वर्ष पहले यहां एलियंस आते रहे हैं। सिरपुर की मूर्तियों में पश्चिमी देशों में मिली मूर्तियों से समानता के आधार पर उन्होंने यह दावा किया था।
उनका दृढ़ विश्वास था कि छत्तीसगढ़ में पुरावैभव का भंडार है। इस वैभव को सामने लाने के लिए छत्तीसगढ़ के दो-तीन ऐतिहासिक पुरास्थलों की खुदाई जरूरी है। डॉ. शर्मा ने अपने करियर का आरम्भ भिलाई इस्पात संयंत्र से किया था। उन्हें इस काम में कुछ नयापन नहीं लगा। (Arun Kumar Sharma Passes Away) इसलिए नौकरी छोड़ दी। इसके पश्चात भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) नागपुर में तकनीकी सहायक पद पर भर्ती हुए। इसके बाद सीखने का जो जुनून शुरू हुआ, वह अंतिम समय तक बरकरार रहा ।
डॉ. शर्मा ने एक बार कहा था कि उन्हें ऐतिहासिक स्थलों की जानकारी प्राय: ग्रामीण देते हैं। छत्तीसगढ़ के बालोद स्थित करकाभाट में महापाषाण काल के टीलों की जानकारी गांववालों ने ही दी थी। उन्होंने पुरातत्व और इससे जुड़े विषयों पर 35 से ज्यादा किताब लिखी हैं । (Arun Kumar Sharma Passes Away) अयोध्या में खुदाई के दौरान मिले साक्ष्यों के आधार पर लिखी गई उनकी किताब ‘आर्कियोलॉजिकल एविडेंस इन अयोध्या केस’ ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण है।
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