बलरामपुर, विष्णु पाण्डेय। छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले के विजयनगर में इस वर्ष भी आस्था और परंपरा का अद्भुत संगम देखने को मिला, जहां बाकी नदी तट पर विराट गोवर्धन पूजा (कराह पूजन) का आयोजन किया गया। काशी (बनारस) से आए गोविंद भगत यादव के सानिध्य में संपन्न इस आयोजन में प्रदेश के कैबिनेट मंत्री रामविचार नेताम मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।
पूजा कार्यक्रम की शुरुआत पूरी विधि-विधान से की गई। इस दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लेकर धर्म और परंपरा के इस संगम का साक्षात्कार किया। विजयनगर के धान खरीद केंद्र के समीप बाकी नदी तट पर बने पूजा स्थल पर मिट्टी के घड़े में दूध भरकर गोबर के उपले से आग लगाई गई और उसी में दूध को खौलाया गया। इसके बाद गोविंद भगत यादव ने पूजा से जुड़ी कथा लोगों को सुनाई और परंपरा के अनुरूप खौलते दूध से स्नान कर चमत्कारिक अनुष्ठान प्रस्तुत किया, जिसे देखकर श्रद्धालु अभिभूत हो उठे।

कार्यक्रम का संचालन करते हुए गोविंद भगत यादव ने बताया कि गोवर्धन पूजा द्वापर, त्रेता, सतयुग और कलियुग चारों युगों में मानव कल्याण के लिए की जाती रही है। उन्होंने कहा कि इस पूजन से पशु-पक्षियों सहित समस्त जीव-जंतुओं को शांति और कल्याण की प्राप्ति होती है। जिन लोगों के जीवन में ग्रह बाधा या मानसिक अशांति होती है, वे इस पूजा के आयोजन से राहत प्राप्त कर सकते हैं।
पूजा की उत्पत्ति पर प्रकाश डालते हुए गोविंद भगत यादव ने कहा कि इस परंपरा की शुरुआत द्वापर युग में स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने की थी, जब उन्होंने गोवर्धन पर्वत की पूजा का संदेश दिया था। यादव वंश ने इस परंपरा को पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ाया है। उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ में वे बीते करीब बीस वर्षों से इस पूजा का आयोजन करा रहे हैं, और देश के विभिन्न राज्यों में भी इस पवित्र अनुष्ठान को संपन्न कराते हैं। गोवर्धन पूजा में भगवान श्रीकृष्ण के साथ मां दुर्गा वनशक्ति की आराधना भी की जाती है।
समापन में श्रद्धालुओं ने पूजा-अर्चना कर समस्त जीवों के कल्याण और प्रदेश की समृद्धि की कामना की। कार्यक्रम में स्थानीय नागरिकों सहित आसपास के ग्रामों से भी बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए।
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