हजारीबाग, ऑफबीट संवाददाता : गुरुवार को जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर एवं जैन धर्म के प्रवर्तक श्री 1008 आदिनाथ भगवान की जन्म कल्याणक एवं जयंती दिवस के अवसर पर 48 दीपों के द्वारा भक्तामर दीप प्रजवलन दोनो दिगंबर जैन मंदिर में किया गया. भक्तगण द्वारा पूजन पाठ किया गया. मीडिया प्रभारी विजय लुहाड़िया ने बताया कि हम सभी जानते है कि आज से कई खरबो वर्ष पूर्व हमारा जैन धर्म 1008 श्री आदिनाथ स्वामी (प्रथम तीर्थंकर) द्वारा इस युग मे प्रवर्तित हुआ,
वैसे तो जैन धर्म अनादि निधन है इसका ना तो कही आदि है ना ही अंत है, हमारा धर्म सर्व प्राचीन है मगर हमारी थोड़ी सी कमी के कारण आज पूरा विश्व में जैन धर्म को मात्र 2500 वर्ष पूर्व श्री 1008 श्री महावीर स्वामी के समय से माना जाता है, जिसका मूल कारण है हमने सिर्फ श्री महावीर जयंती को ही विस्तृत रूप से मनाते है, जबकि होना यह चाहिए कि हमे युग निर्माता आदी ब्रम्हा 1008 श्री आदिनाथ स्वामी का जन्म कल्याणक महोत्सव बड़े को धूमधाम से मनाने की परंपरा को जीवंत करना चाहिए था.
इस सम्बंध में पूज्य श्री 108 गुरु श्री सुधा सागर जी महाराज भी कई बार अपने प्रवचन में कह चुके है. गुरुवार (चैत्र बदी नवमी) को देवो के देव, महादेव त्रिलोकी के नाथ 1008 श्री आदिनाथ स्वामी का जन्म कल्याणक घूम पूरे उत्साह उमंग हर्षोल्लास से मनाएं.
आगे उन्होंने कहा पूरे भारत की सकल जैन समाज से अपेक्षा है कि इस दिन सभी जगह की समाज विशेष रूप से जुलूस निकालकर, प्रभावना वितरण करके अपने-अपने निवास एवं धर्मस्थलों को सुसज्जित करते हुए हर्षोल्लास के साथ आदिनाथ प्रभुजी का विशेष अभिषेक, शांतिधारा, पूजन आदि का विशेष आयोजन और जन-जन तक इस आयोजन को खुशियो के साथ आगे मनाएंगे.
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