गोला, मनोज मिश्र। रामगढ़ जिले के गोला प्रखंड अंतर्गत पतरातू गांव निवासी राजू डोम की बेटी टीना कुमारी 15 वर्ष की मौत रविवार सुबह को हो गई। बताया गया कि टीना दिव्यांग असहाय थी। वह चलने फिरने में पूरी तरह से असमर्थ थी। पिछले कई महीने से बीमार थी। साथ ही उसका नहीं हो पा रहा था इलाज। उसकी इलाज नहीं होने के कारण मौत हो गई। दिव्यांग किशोरी की मौत पर सियासत तेज हो गई है। लेकिन किशोरी की मौत से पूर्व गांव के राजनीतिक दल से लेकर सामाजिक संगठनों, पंचायत प्रतिनिधियों, सरकारी कर्मचारियों सहित किसी ने इस परिवार की सुध लेना जरूरी नहीं समझा। परिवार की स्थिति बद से बदतर होती चली गई। सभी चुप्पी साधे रहे। आसपास के कई लोगों को सरकारी योजनाओं का लाभ मिला है, परंतु आखिर क्या वजह है इस दलित परिवार को अब तक किसी तरह का सरकारी योजना का लाभ नहीं मिल पाया।
वर्तमान में परिवार में मृतक किशोरी टीना को मिलाकर तीन सदस्य थे। मृतक टीना के पिता दिनभर नसे में चूर रहता है। घर पर ना तो मृतक टीना का आधार कार्ड था, ना ही उसके पिता का आधार कार्ड है और ना ही उसकी मां का आधार कार्ड था। मृतक टीना की मां का पूर्व में ही मौत हो चुकी है। घर पर अगर किसी की सुध लेने वाला है, तो वह है मृतक टीना की वृद्ध दादी। वृद्ध दादी का आधार कार्ड है, परंतु दादी को भी अब तक किसी तरह का सरकारी योजना का लाभ नहीं मिल पाया है। मृतक टीना को दिव्यांग होने पर मिलने वाला पेंशन नहीं मिलता था, घर पर राशन कार्ड नहीं होने की वजह से सरकारी राशन नहीं मिल पा रहा था। मृतक टीना के पिता भी बीमार है। बताया जाता है कि उसे टीवी की बीमारी है। ग्रामीणों ने बताया कि दोनों बाप बेटी की बीमारी से खाने पीने की समस्या उत्पन्न हो गई थी।
अगल बगल के लोग अक्सर दोनों बाप बेटी को खाना देते थे। गांव का जन वितरण प्रणाली दुकान से परिवार को कभी कभार कुछ अनाज मिल जाता था। बताया गया कि इनका राशन कार्ड भी नहीं था। जिससे इनके समक्ष घोर समस्या उत्पन्न हो गई थी। इधर घटना की जानकारी के बाद पूर्व जिला परिषद सदस्य कपिल मुंडा आजसू अनुसूचित महासभा प्रखंड अध्यक्ष विशु रजवार, भाजपा के नेता महेंद्र प्रसाद सहित कई लोग अमृता के के घर सांत्वना देने पहुंचे। सभी ने सरकार को कोसते हुए कई प्रश्न चिन्ह लगाया है। किसी ने इसे भूख से मौत बताया है तो किसी ने इसे भूख जनित बीमारी से मौत बताया है।
मृतक टीना की मौत पर सियासत हो रही है। सांत्वना देने के साथ-साथ उसके घर खाद्य सामग्री पहुंचाने जा रहे है। यह एक जांच का विषय है कि दिव्यांग टीना की मौत कैसे हुई। केंद्र और राज्य सरकार की कई योजनाएं इन गरीबों के लिए बनाया गया है। जनता दरबार लगाई जाती है, परंतु क्या वजह है कि इस परिवार को अब तक किसी भी तरह का सरकारी योजना का लाभ नहीं मिल पाया।
वृद्ध दादी को वृद्धा पेंशन नहीं, मृतक टीना को निशक्त योजना का लाभ नहीं, घर पर राशन कार्ड नहीं, आवास योजना का लाभ नहीं। आखिर यह योजनाएं है किसके लिए? सरकार दूदूम्भे भर रही है कि राज्य में कोई ऐसा परिवार नहीं जिन्हें सरकारी योजना का लाभ नहीं मिला हो। क्या किसी जनप्रतिनिधि का यह दायित्व नहीं बनता था, क्या किसी राजनीतिक दल के नेता का इसका दायित्व नहीं था, सामाजिक संगठन के लोग क्या कर रहे हैं। पंच पंचायत प्रतिनिधि और पंचायतों में नियुक्त कर्मचारी क्या कर रहे थे। इश्तहार लगाया जाता है, अनाउंस किया जाता है आज पंचायत सचिवालय में योजनाओं का लाभ देने के लिए सरकार आपके द्वार है। यह परिवार तो उस पंचायत सचिवालय तक नहीं जा सका, तो क्या सरकार सर्वे भी तो कराती है। क्या इस परिवार का सर्वे नहीं हुआ कि इसकी माली हालत कैसी है? यह घटना सरकार की पोल खोल रही है।
सरकारी योजनाओं से वंचित रही दिव्यांग: बीडीओ
गोला प्रखंड के बीडीओ संतोष कुमार ने बताया कि मृतक टीना कुमारी दिव्यांग थी। उसके परिवार को किसी प्रकार के सरकारी योजनाएं नहीं मिली है, तो इसकी सारी जिम्मेवारी वहां के जनप्रतिनिधियों को जाती है। हमारे पास उस परिवार से अब तक किसी तरह का आवेदन प्राप्त नहीं है। ग्रामीणों से पता चला है कि मृतक टीना के पिता भी बीमार रहते हैं। मैं अपने स्तर से उन्हें चिकित्सा सुविधा मुहैया कराने का प्रयास करूँगा।
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