रांची (विष्णु पांडेय)। नहाय खाय के साथ लोकआस्था के महापर्व छठ की शुरुआत हो चुकी है। इस दिन से घर में शुद्धता का बहुत ध्यान रखा जाता है, और लहसुन-प्याज़ बनाने की मनाही हो जाती है। छठ व्रत एक कठिन तपस्या की तरह माना जाता है। छठ व्रत मूल रूप से महिलाएं ही करती हैं। हालांकि कुछ पुरुष भी इस व्रत को रखते हैं। छठ का पहला दिन ‘नहाय खाय’ के रूप में मनाया जाता है जिसमें घर की सफ़ाई, फिर स्नान और शाकाहारी भोजन से व्रत की शुरुआत की जाती है। मान्यता के मुताबिक, छठी मैया ने कार्तिकेय को दूध पिलाकर पाला था। इसी से छठ में दूध का अर्ध्य देने की परंपरा शुरू हुई।
नहाय खाय के दिन क्या खाती हैं व्रती
सूर्योदय पूर्व उठकर महिलाएं आम की लकड़ी से दातून करती हैं। इसके बाद नहा धोकर व्रती लौकी की सब्जी के साथ चने की दाल और चावल खाती हैं। इसमें संतान देने वाली छठी मैया और आरोग्य देने वाले भगवान सूर्य की प्रार्थना की जाती है। इस दिन एक ही समय भोजन किया जाता है। नहाय खाय के साथ व्रती सात्विक जीवन जीते हैं और हर तरह की नकारात्मक भावनाएं जैसे लोभ, मोह, क्रोध आदि से खुद को दूर रखते हैं। नहाय खाए के दिन खासतौर पर कद्दू की सब्जी बनायी जाती है। व्रत रखने वाले सबसे पहले इसे ग्रहण करते हैं।
छठ पूजा का पहला दिन
- नहाय-खाय 2022: 28 अक्टूबर, दिन शुक्रवार
- सूर्योदय: प्रात: 06 बजकर 30 मिनट पर
- सूर्योस्त: शम 05 बजकर 39 मिनट पर
छठ के कुछ जरूरी नियम
इस दौरान महिलाएं अपनी संतान के स्वास्थ्य, सफलता और दीर्घायु के लिए 36 घंटे का निर्जला उपवास रखती हैं। इसलिए ये व्रत बेहद कठिन माना जाता है। इस महापर्व को मनाने वाले छठ व्रतियों को कुछ खास बातों का भी ध्यान रखना चाहिए। प्रसाद को तैयार करते वक्त अनाज की शुद्धता का खास ध्यान रखना चाहिए। छठ के प्रसाद में काम आने वाले अनाज में गलती से भी पैर नहीं लगना चाहिए। इतना ही नहीं प्रसाद को नए चूल्हे पर बनाया जाए। वहीं छठ पूजा में पहले इस्तेमाल किए गए चूल्हे का दोबारा इस्तेमाल नहीं किया जाता। इसके अलावा पूजा के लिए बांस से बने सूप और टोकरी का ही इस्तेमाल किया जाना चाहिए। ना कि स्टील या शीशे के बर्तनों का।
सूर्य प्रत्यक्ष देवता माने जाते हैं। इसमें संतान देने वाली छठी मैया और आरोग्य देने वाले भगवान सूर्य की प्रार्थना की जाती है। ऐसे में लोग गंगा में स्नान कर सूर्य को अर्ध्य देते हैं और अच्छे स्वास्थ्य के लिए प्रार्थना करते हैं।