कोलकाता। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के शासन में पश्चिम बंगाल में उद्योगों के बंद होने और कारोबारियों को धमकी देने के आप तो पहले से ही लगते रहे हैं। अब केंद्र सरकार ने इस पर आधिकारिक मुहर भी लगाई है, जिसकी वजह से राज्य में राजनीतिक घमासान छिड़ गया है। दावा है कि पिछले पांच वर्षों में हजारों कंपनियों ने पश्चिम बंगाल छोड़कर अन्य राज्यों में अपना मुख्यालय स्थानांतरित किया है। केंद्रीय सरकार के दावे पर राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इसे तृणमूल कांग्रेस सरकार की नीतियों की विफलता बताया है, जबकि तृणमूल ने इसे ‘फर्जी रिपोर्ट’ कहकर खारिज कर दिया है।
राज्यसभा में भाजपा सांसद शमीक भट्टाचार्य के सवालों के जवाब में केंद्रीय कॉरपोरेट मामलों के राज्य मंत्री हर्ष मल्होत्रा ने बताया कि 2019 से 2024 के बीच पश्चिम बंगाल से हजारों कंपनियां अपना पंजीकृत कार्यालय अन्य राज्यों में स्थानांतरित कर चुकी हैं। इनमें 37 कंपनियां शेयर बाजार में सूचीबद्ध हैं।
शमीक भट्टाचार्य ने संसद में चार सवाल उठाए थे :
1. 2019 से 2024 के बीच कितनी कंपनियों ने बंगाल छोड़कर अन्य राज्यों में मुख्यालय स्थानांतरित किया ?
2. इन कंपनियों में कितनी शेयर बाजार में सूचीबद्ध हैं और वे किस क्षेत्र से संबंधित हैं ?
3. इन कंपनियों के स्थानांतरण के कारण क्या थे ?
4. पश्चिम बंगाल में उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए मंत्रालय ने क्या कदम उठाए हैं?
मंत्री ने पहले दो सवालों का उत्तर संख्या के रूप में दिया, लेकिन बाकी सवालों पर स्पष्ट जवाब नहीं दिया। उन्होंने कहा कि कंपनियां प्रशासनिक, संचालन लागत और संपर्क साधन जैसे कारणों से मुख्यालय स्थानांतरित करती हैं।
भाजपा का तृणमूल पर हमला
इस रिपोर्ट के आधार पर शमीक भट्टाचार्य ने बंगाल सरकार द्वारा आयोजित ग्लोबल बिजनेस समिट पर सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि बंगाल में बड़े धूमधाम से बिजनेस समिट आयोजित किया जाता है, लेकिन कंपनियां टिकती नहीं। केंद्र की रिपोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया है कि बंगाल में उद्योग के लिए अनुकूल माहौल नहीं है। कंपनियों के पलायन के कारण राज्य में बेरोजगारी बढ़ रही है और नए रोजगार नहीं बन रहे।
शमीक ने आरोप लगाया कि जब देश के अन्य हिस्सों में नई-नई निवेश परियोजनाएं आ रही हैं, तब बंगाल में कामकाज का माहौल खराब होने के कारण कंपनियां राज्य छोड़ रही हैं।
तृणमूल ने किया पलटवार
केंद्र की रिपोर्ट को खारिज करते हुए तृणमूल के प्रवक्ता कुणाल घोष ने इसे ‘फर्जी और आधारहीन’ बताया। उन्होंने कहा, “कोविड महामारी के दौरान पूरे देश में ऐसी स्थिति बनी थी। लेकिन उसके बाद बंगाल में निवेश और रोजगार दोनों में वृद्धि हुई है। यह रिपोर्ट सिर्फ राजनीति के लिए बनाई गई है।”
कुणाल घोष ने यह भी कहा कि तृणमूल सरकार के कार्यकाल में बंगाल ने औद्योगिक विकास के कई नए आयाम छुए हैं और रोजगार के नए अवसर पैदा किए गए हैं।
यह रिपोर्ट ऐसे समय आई है जब बंगाल सरकार ‘विश्व बंगाल वाणिज्य सम्मेलन’ की तैयारी कर रही है। भाजपा जहां इसे लेकर राज्य सरकार पर हमलावर है, वहीं तृणमूल इसे केंद्र सरकार की साजिश बता रही है। इस मुद्दे पर राज्य की सियासत में तनाव और बढ़ने की संभावना है।
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