गिरिडीह। जैन धर्मावलम्बियों के तीर्थ सम्मेद शिखर मधुबन के पार्श्वनाथ पर्वत पर रविवार को देश-विदेश से आए हजारों जैन भक्तों ने मोक्ष कल्याणक दिवस पर भगवान पार्श्वनाथ की वंदना कर निर्वाण लड्डू अर्पित किए।
जानकारी के मुताबिक अहले सुबह से ही भगवान के मंदिर में लड्डू चढ़ाने का दौर शुरू हुआ, जो दोपहर तक चलता रहा। देश के विभिन्न राज्यों से आए जैन श्रद्धालु गाजे-बाजे के साथ गेरुआ वस्त्र धारण कर सिर पर भगवान आदिनाथ के अष्टधातु की मूर्ति लिए जैन मुनियों के सानिध्य में पैदल यात्रा कर करीब 20 किलोमीटर ऊपर पारसनाथ टोंक पर्वत की चढ़ाई कर निर्वाण लड्डू अर्पित किया। जैन भक्तों ने इस दौरान भगवान पार्श्वनाथ, भगवान आदिनाथ समेत 20 तीर्थंकरों के मंदिरों की परिक्रमा कर विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना की। भक्तों की भीड़ ने झूमते हुए पारसनाथ पर चढ़ाई का सफर पूरा किया।
मोक्ष सप्तमी पर टोंक स्थित हर मंदिर की सजावट भी बेहद सुंदर तरीके से की गयी थी। फूलों से सजे मंदिर रंग-बिरंगी लाइट से झिलमिला रहे थे। एक अनुमान के अनुसार 25 से 30 हजार भक्तों ने मोक्ष सप्तमी के पावन अवसर पर भगवान पार्श्वनाथ को निर्वाण लड्डू चढ़ाये।
उल्लेखनीय है कि श्रावण शुक्ल सप्तमी के दिन 23वें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ को मोक्ष की प्राप्ति हुई थी। इसलिए इस दिन को उनके मोक्ष कल्याणक दिवस के रूप में मनाया जाता है। मंदिरों में भगवान पार्श्वनाथ की विशेष पूजा-अर्चना, शांतिधारा कर निर्वाण लड्डू चढ़ाया जाता है। जैन दर्शन के अनुसार मोक्ष की प्राप्ति होना जीवन का सार्थक होना माना जाता है। इस मान्यता के साथ इस दिन को मोक्ष सप्तमी के दिन खास तौर पर बालिकाएं निर्जला उपवास करती हैं। दिनभर पूजन, स्वाध्याय, मनन-चिंतन, सामूहिक प्रतिक्रमण करते हुए संध्या के समय देव-शास्त्र-गुरु की सामूहिक भक्ति कर आत्म चिंतन करती हैं।