नई दिल्ली। हिंदू धर्म में होली का पर्व बहुत ही खास और महत्वपूर्ण माना गया है। रंगों का यह पर्व प्रेम और एकता का प्रतीक है। इस दिन लोग आपसी मनमुटाव मिटाकर एक-दूसरे को रंग व गुलाल लगाते हैं। इस वर्ष होलिका दहन का मुहूर्त और इस पर्व की विशेषताएं पंडित कमल किशोर मिश्रा द्वारा बताई गई।
उन्होंने बताया कि फाल्गुन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा की रात होलिका दहन किया जाता है और इसके अगले दिन होली मनाई जाती है। हिंदू धर्म के अनुसार होलिका दहन को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना गया है। होली एक सांस्कृतिक, धार्मिक और पारंपरिक त्योहार है।
पंचांग के अनुसार इस वर्ष फाल्गुन पूर्णिमा तिथि 24 मार्च को सुबह 09 बजकर 23 मिनट से शुरू होगी। वहीं इस तिथि का समापन अगले दिन यानी 25 मार्च को दिन के 11 बजकर 31 मिनट पर होगा पं. कमल किशोर मिश्र बताते हैं कि शास्त्रीय नियमों का पालन करते हुए इस वर्ष होलिका दहन 24 मार्च रविवार को रात्रि व्यापिनी फाल्गुन पूर्णिमा तिथि को भद्रा काल के बाद अर्थात रात्रि 10 बजकर 37 मिनट के बाद किया जाना शास्त्र सम्मत होगा।
ज्योतिष शास्त्र में होलिका दहन के लिए तीन महत्वपूर्ण नियम हैं
– फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि हो।
– वह पूर्णिमा तिथि सांय व्यापिनी हो (शाम से रात्रि पर्यंत पूर्णिमा तिथि व्याप्त होनी चाहिए।
– होलिका दहन भद्रा में नहीं करना चाहिए भद्रा के उपरांत ही होलिका दहन रात्रि में करें।
रंगोत्सव पर्व
प्रायः फाल्गुन पूर्णिमा की रात्रि होलिका दहन तथा चैत्र कृष्ण पक्ष प्रतिपदा तिथि को रंगोत्सव का पर्व मनाया जाता है।
काशी की परंपरा के अनुसार होलिका दहन के पश्चात सुबह रंगोत्सव पर्व मनाया जाता है, अतः काशी में 25 मार्च सोमवार को रंगोत्सव पर्व मनाया जाएगा। अन्य स्थानों पर 26 मार्च मंगलवार होलिकोत्सव, रंगोत्सव पर्व मनाया जाएगा।
होली रंगोत्सव
होली का त्योहार प्रेम और सद्भावना से जुड़ा त्योहार मैं जिसमें अध्यात्म का अनोखा रूप झलकता है। इस त्योहार को रंग और गुलाल के साथ मनाने की परंपरा है। होली का त्योहार भारतवर्ष में अति प्राचीनकाल से मनाया जाता आ रहा है। इतिहास की दृष्टि से देखें तो यह वैदिक काल से मनाया जाता आ रहा है। हिन्दू मास के अनुसार होली के दिन से नए संवत की शुरुआत होती है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार होलिका दहन और होली के दिन भगवान श्री कृष्ण, श्री हरि और कुल देवी-देवताओं की पूजा करने से सभी नकारात्मक शक्तियों का नाश हो जाता है और जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। इस पर्व को बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है।
षडाष्टक योग
मेष एवं कुंभ राशि पर षडाष्टक योग बन रहा है, अतः मेष और कुंभ राशि वाले जातकों को होली तापना वर्जित है।